अंधेरा चादर उढ़ाता है उजाला उघाड़ देता है ।
कालिख पोतने वाले के हाथ भी काले होते हैं
स्वभाव आदमी छोड़ता नहीं है। दुःख में और निखर जाता है । बांस में छेद करो तो मधुर स्वर देने लगता है।
दृष्टि हीन को अंधा कहने वाला स्वयं अंधा होता है, देखना तो उसे है ।
हम पत्थर युग की ओर बढ़ रहे हैं । सारे आविष्कार नष्ट करदो तब शायद अधिक सभ्य हो जायेंगे।
साधन हीन व्यक्ति के लिये अतिथि देवता है और साधन सम्पन्न के लिये मुसीबत।