Tuesday 30 July 2024

udhahran

 मंजिल पर पहुंचने के लिये एक पांव बढ़ाना होता है,राह की मुश्किल को खुद आप हटाना होता है

कोई नहीं है जो आगे आये और आपको रोशनी देदे,अंधेरे को मिटाने को खुद को जलाना होता है।


परिंदों को तालीम नहीं दी जाती उड़ानों की, 

खुद ही बुलंदियां छू लेजे है आसमानों की।


वृद्धावस्था में साथ तब छोड़ भागते लोग 

,सेवा करने के लिये तब आते हैं रोग।


 धन्य धन्य है यह सभा स्वास्थ प्रेम का केन्द्र स्थान 

ग्ुाुणी धनी सभी विराजत हे जाने माने ज्ञानी महान् ।

रोशनी गर ख्ुदा को हो मंजूर आंधियों में चराग जलते हैं ।


 नजाने कौन सी बात आखिरी होगी, नजाने कौन सी रात आखिरी होगी 

आते रही करो हमारे साथी न जाने कौन सी मुलाकात आखिरी होगी ।