Wednesday, 14 December 2016

शायरी

जिन्दगी है नादान इसलिये चुप हॅूं
दर्द ही दर्द है हर पल इसलिये चुप हॅूं 
कह तो दूं जमाने से मैं अपनी सारी दास्तान
कोई हो न जाये बदनाम इसलिये चुप हॅूं 

टूटे ख्वावों को फिर से सजाना आता है 
रूठे दिल को मनाना भी हमें आता है 
आप हमारे गम को देखकर कहीं परेशान न होना
हमें अपने दर्द में भी मुस्कराना आता हैं ।

बहुत मुश्किल से सीखा है खुश रहना
अब सुना है यह बात भी उन्हें परेशान करती है 

आपके कदमों के निशान अभी भी  मौजूद हैं इस दिल पर
मैंने आपके सिवा किसी और को यहॉं से गुजरने न दिया ।

कोई रास्ता नहीं दुआ के सिवा कोई सुनता नहीं खुदा के सिवा 
मैंने भी जिन्दगी को करीब से देखा है मुश्किल में साथ कोई देता नहीं आंसुओं के सिवा ।

पीने को तो पी जाउं जहर भी आपके हाथों मैं 
पर शर्त यह भी है गिरते वक्त आप अपनी बाहों मेंसंभाल लें मुझको ं

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