Thursday, 10 July 2025

shayari

 ऽ झंडे को आदर देने का अर्थ यह नही है कि देश या दश वासी जो कुछ भी करते हैं आप उसका 

अनुमोदन करते हैं इसका एक मात्र तात्पर्य है कि 

स्वतन्त्रता जैसे इश्श्वरीय वरदान के लिये आप कृतज्ञ हैं। 


हम तुम हँसे रोये मिलकर यही तो जिन्दगी है

इस कदर भी न हँसे रोये खुदा को ही हँसना पड़े

खिलौने है हम तुम सभी टूटकर बिखरना ही नियति है 

बिखर जायें न समय से पहले ही यही याद रखना जिन्दगी है।

त्रिफला त्रिकुटा तूतिया पाँचों नमक पंतग

दाँत बज्र सम होत है माजू फल के संग 

कौन कहता है बुढ़ापे में इश्क का सिलसिला नहीं होता 

आम भी रसीला नहीं होता जब तक पिलपिला नहीं होता


थोड़ी शोखी थोड़ी शरारत थोड़ी चतुराई 

या खुदा तुने ये क्या तस्वीर बनाई

जाने कब खत्म हो बाहर की दौड़ें अपनी

जाने किस वक्त हो अंदर के सफर का अगाज 


हर चाभी से खुल जाये दिल ऐसा भी नामुमकिन है 

यह कुछ खास समय खुलता है यह दरवाजा नाम न हो 


बज्मे गम है आवे जगमग नहीं है 

यहाँ किसी से कोई कम नही है


वही रास्ते वही मंजिलें वही मुश्किलें वही मरहेल मगर 

अपने अपने मुकाम पर कभी तुम नहीं कभी हम नहीं


कोई मुस्कराता हुआ जा रहा है

जमाने की रफ्तार का रूख बदलके 


अगरचे लुफ्त से गुजरी है जिन्दगी अब तक 

ये चंद रोज मगर यादगार गुजरे हैं।


पहले सोचा था इस बज्म में आंऊ कैसे 

अब परेशान हूँ कि काश न आया होता


मिली शहर को चिट्ठियाँ नये साल के नाम

लिखी गाँव की धूल ने यादों भरा प्रणाम ☺