Saturday, 8 February 2025

pyar ka bukhar 14 feb

 प्यार का बुखार


फरवरी माह के आते ही जैसे पृथ्वी में स्पंदन होना प्रारम्भ हो जाता है एक हलचल एक उत्साह जैसे ह्नदय में गुनगुनाहट भर जाती है प्रकृति नृत्य करने लगती है गुलाबी गुलाबी सर्दी जैसे बोझ मुक्त श्शरीर हो। जिन पंछियों की आवाज सुनाई नही पड़ती थी क्योकि तीखी हवा ने खिड़की दरवाजे बंद कर दिये। वे भी उन्मुक्त हो गये तो पंछियों की चहचहाट भी सुनाई पड़ने लगी जैसे वे भी कह रहे हो वर्ष का सबसे प्यारा प्यारा दिन आने वाला है। प्यार करो प्रकृति भी प्यार से भीगना चाहती है ओस की बूंदे भी कहने लगती हैं मै धरती मैं समाना चाहती हूॅं फूल पूर्ण सौंदर्य के साथ खिल उठते हैं। 

प्यार का दूसरा नाम सुन्दरता है जो प्यारा है वह सुदंर है। अपने दिल की धड़कन पूरे साल संजोये रहते हैं उसे हथेली पर लेकर निकलते हैं वेलेंटाइल डे पर 14 फरवरी को प्रेमिकाएंे भी इंतजार में पूरे साल  टकटकी लगाये रहती है कि प्रेमी इजहार करेगा। दिल ही तो है न जाने कब किसका दिल आ जाये और न जाने किस पर खुद का दिल लग जाये। 

   लो फिर आ गई 14 फरवरी वो तो हर साल आयेगी ही। 365 दिन बाद फिर आयेगी। जो पिछले साल फंस गये वो तो फंस चुके उनके लिये तो बेकार हो गया और जो उससे पिछली बार फंसे वो तो अब लोरी गा रहे होेगे अब उनका चाँद और चाँदनी होगी मेरा चंदा है तू मेरा सूरज है तू । जो होशियार होगे वो अभी दो चार साल फूल खरीदेगंे पहले जमाना होता तो गाते फूल तुम्हे भेजा है खत मंे फूल नहीं मेरा दिल है“ अब तो एम एम एस पर एस एम एस भेजते जाओ दिल बनाओ तीर बनाओ दिलो को छेदते जाओं जितने तरकश में तीर हों । फोन से बदल कर भेजते जाओ कोई तो ंिबध ही जायेगा। 

प्यार का बुखार चढ़ता दुनिया के कोने कोने मे है प्यार के दुश्मनों ने पहरे लगाये पर प्यार तो एक जुनून है इसने बड़े बड़े समुंदर पार करा दिये पहाड़ लंघवा दिये नदिया घड़ों के सहारे पार करवा दी तो कानून की किसे परवाह है छिपाकर ब्याह कर लिया और बंद कमरे के पीछे विवाह कराया संत वेलेंटाइन ने यह रोग ही महामारी की तरह और तेजी से फैलता है ,फैल गया 14 फरवरी का बुखार पूरी दुनिया में और इंग्लैंड में तो बाकायदा मार्च पास्ट निकलने लगा इंगलैंड में गुड मार्निग टू यू वैलेंटाइन गीत गाते बच्चे निकलते हैं। प्रेम के इजहार के भी तो तरीके है अलग अलग देश में अलग अलग ढंग। कहीं कही लड़की को लड़का पोशाक भेंट करता है। अगर लड़की भेंट रख लेती है तो समझ लेता है कि उसका प्रेम स्वीकर है। 

प्रेमिका और प्रेमी का दिल धकधक करता रहता है पता नही प्रेम स्वीकार है या नहीं अनेक फूलों की एक एक पंखुरी तोड़ते जाते हैं। स्वीकार है नही है जो बचा खुशी या गम ,स्काटलैंड मंे 14 फरवरी को आँख ख्ुालते ही जो पहली सूरत दिखाई देती है वहीं प्रेमी होता है इसलिये दोपहर 12 बजे के बाद यह अला बला टल जाती है इसलिये दोपहर तक लड़कियॉं उस दिन बाहर नही निकलतीं। मुँह लपेटे पड़ी रहती हैं कहीं कोई टेड़ा मेड़ा न आ जाये सामने और उसे गाना पड़े मैं का कँरू राम मुझे बुढ्ढा मिल गया। हाय हाय बुढ्ढा मिल गया। 

प्रेम को लेकर अनेक मान्यताऐं हैं यदि किसी लड़की के सिर के ऊपर से गौरेया निकल जाय उसका विवाह किसी जहाजी से होगा ,उस समय तो जनम जनम का साथ चाहिये‘ जनम जनम का साथ है निभाने को, सौ सौ बार मैने जनम लिया ’अब प्रेमी ने लिया प्रेमिका ने लिया कि नही यह कैसे पता लगे गाने को तो दोनों ही गाते जायेंगे ‘सौ बार जनम लेगें ऐ जाने वफा फिर भ्ी हम तुम न जुदा होगें...... ’हाँ प्रेमी प्रेमिका तब तो ठीक पति पत्नी बनते ही हाथ लेबा होते ही दो पहलवान हाथ मिलाने लगते हैं सच है इस दिल का लगाना नहीं दिल्लगी, नहीं दिल्लगी । जिगर चाहिये दिल लगाने के लिये हिम्मत कि पूरी ंिजंदगी पीछा नहीं छुटेगा । सोच समझकर दिल लगाओ हाँ आज की पीढ़ी के लिये नो टेंशन चट प्यार पट तकरार और झट तलाक न तुम हमें जानों ना हम तुम्हें जाने। 

फिर सर्फिग शुरू चिड़िया उड़े तो शादी किसी धनवान से होगी। प्रेम होगा तो विवाह तो होगा ही नही ंतो लैला मंजनू शीरी फरहाद की कहानी होगी उससे कोई फायदा नहीं होगा। अब विवाह होगा तो वंश बढे़गा अब कितनी संतान होगी इसके लिये प्रेमियों का जोड़ा सेब को चाकू से काटें । सेब के आधे भाग में जितने बीज एक बार में दिखाई दे उतने बच्चे होगें। क्या करना है ब्लड टैस्ट या जन्मपत्री का अच्छा तरीका है ओर नही तो हथेली पर पीले फूलों की पंखुरिया रखकर जोर से फूंक मारो जितनी पंखुरी हथेली पर बचे उतनी संतान होगी। ध्यान रहे बिलकुल सुखा लेना तभी आजमाना गीले पंखुरी भारी नही उड़ी तो बाप रे बाप बीस पच्चीस बच गई तो। 



Wednesday, 5 February 2025

Why we say

 

He is breaking up the wrong tree

 

Mistaken in one’s judgment

In old days in fight the raccoons takes a tree and remains in safty far up in the highest branches .

It was the hunting dog’s responsibility to remain at the foot of the tree and keep the raccoon a prisoner by barking continuously until his master arrives to take raccoon . Sometimes the dog makes a mistake in the excitement of the chase or in the failing light and when morning comes it is all too obvious the dog has been barking up the wrong tree

 

To eat humble pie

 

To apologize for one’s behavior

The  correct term is umble pie that is still made in some parts of Britain

 

DDlj tom cruice was originally recommended as Raj Malhotra

A total of 30%of increase was noticed in Indian Tourist going to Spain after Zindagi na milegi Dobara was released

Grand Father of  Kalki  Koechlins worked as the chief engineer for the construction of the Effil Tower

First Indian Film to be ever released in China was Lagan .It was dubbed in Chinese an d premiered in Shanghai Beizing.

When Shri Devi was 13 years old she acted as Rajnikant ‘s stepmother in a film .

 

The ant can lift 50 times its own weight ,can pull30 times its own weight and always falls over on its right side when intoxicated .

polar bears are left handed

The catfish has over 27,000 taste buds

 

 

The flea can jump350 times its body length .Its like a human jumping the length of a football field

A cockroach will live nine days without its head ,before it starves to death .

Some lions mate over 50 times a day

Butterflies taste with their feet

An ostrich’s eye is bigger than its brain .

Star fish do not have brains .

Tuesday, 4 February 2025

kanya bhroon hatya kyon

 कन्या भ्रूण हत्या ईश्वर के निर्णय को उलटना है, कन्या ईश्वर का वरदान है, माँ को हम इश्श्वर का रूप मानते हैं दर्जा देते हैं लेकिन उसी माँ की कोख में पल रही भावी माँ की हत्या कर देते हैं। 9 माह तक जिसे अपनी कोख में पालती है अपने रक्त से पोषित करती है उसकी हत्या कर देती है क्योंकि वह उसकी अपनी प्रतिकृति है। एक सामाजिक निर्णय कि बेटी देने के साथ दहेज देना होगा ऐसा अमानवीय निर्णय यह समझ में नहीं आता जो हृदय का टुकड़ा तुम्हारे घर को चलाने हेतु देखभाल हेतु आगे तुम्हारे घर में चिराग देने के लिये जा रही है उसको तुम कपड़ा खाना नही दे सकते। एक नौकरानी को भी यदि काम के लिये रखा जाता है तो उसे खाना कपड़ा दिया जाता है दहेज देना ही गलत है । न कन्या दान की वस्तु है और दान लेने वाला यदि इतना समर्थ नहीं है कि वह घर की होने वाली धुरी को लट्टू की तरह नचा तो सकता है पर उसे धुरी को चिकनाई नहीं प्रदान कर सकता है, ऐसे निकम्मे निखटटुओं को विवाह करना ही नहीं चाहिये बल्कि कन्या के घर वालो को वर पक्ष को उपहार देने चाहिये कि उनकी घर की शोभा है महिला।

☺ार में सुन्दरता, स्वव्छता, एकरूपता, और ऊर्जा लाती है महिला । बेटियां घर की चहक होती हैं। वे खास होती हैं उनका घर में जो स्थान है वह कोई नहीं ले सकता । पुरुष विवाह घर बनाने के लिये करता है। बिन घरनी घर भूत का डेरा जिस घर में लड़की न हो या महिला न हो वह घर घर नहीं होता, एक श्मशान से भी गया गुजरा होता है वह एक ऐसी चिता पर लेटा होता है जिसकी आग उसे झुलसा कर नरक का ऐहसास कराती है। हर गृहणी का ऋणी होता है ।पुरूष तो न कन्या न पुत्र किसी को जन्म नहीं दे सकता हाँ कारक होता है पर कन्या या पुत्र क्या जन्म लेगा दोनांे का ही जिम्मेदार पुरूष है स्त्री तो जन्मदात्री है फिर दोषी महिला क्यों? 


Wednesday, 29 January 2025

uktiyan

 हम कहते हैं मैंने अन्न उपजाया परन्तु कारक कोई और है। सूर्य के बिना अन्न नहीं उत्पन्न हो सकता ।

इन्द्रधनुष भ्रम जाल है ।

सूर्य एक है उसने अपने जैसा कोई नहीं बनाया उससे तो दीपक अच्छा जिसने स्वयं प्रकाषित होने के साथ अनेकों दीपक जला दिये ।

चलते हम हैं कहते हैं सूर्य चल रहा है चंद्रमा चल रहा है बादल चल रहे हैं।


स्वाति बूंद पावन परम सीप पड़े मोती बने,माटी में मिल जाये सुवर्ण बने नहीं तो माटी में मिल कर उसे उपजाऊ बना देती है।और बीज प्रस्फुटित होने के लिये तत्पर हो जाते हैं।

नदी ष्षीतल पाटी ओढ़कर अंधेरे में ष्षांत सो जाती है।सूर्य उसकी चादर समेटकर उसे जगाकर कहता है बहो नदी तुम बहो।

नदी को कौन मार्ग बतलाता है ीजारों कोस चलकर सागर से मिल जाती है

स्ूार्य को कौन मार्ग दिखाता है पर अपनी राह चलता जाता है न कोई संगी न साथी  लेकिन ब्रह्मांड में धूमता रहता है 


Tuesday, 28 January 2025

janak ka swapn

 जनक का स्वप्न


एक बार महाराज जनक ने स्वप्न देखा कि किसी शत्रु ने मिथिला पर आक्रमण कर दिया है। उसकी अपार सेना ने नगर को घेर लिया है। भीषण यु( कई दिन तक चलता रहा अंत में महाराज जनक की पराजय हो गई । शत्रु सेना के सेनापति ने उन्हें बंदी बना लिया और अपने राजा के सामने पेश किया। विजयी नरेश ने आज्ञा दी कि जनक के समस्त वस्त्र व आभूषण उतार कर मात्र एक वस्त्र देकर राज्य से निकाल दिया जाये। साथ ही अपने राज्य वासियों से कहा ,‘यदि किसी ने भी जनक को भोजन या वस्त्र या आश्रय दिया तो उसे प्राण दण्ड दिया जायेगा।’

एक छोटा सा वस्त्र कमर पर बांध कर महाराजा जनक दरबार से निकल कर राज्य से बाहर की सीमा पार करने के लिये निकल पड़े। प्राणभय से कोई उनसे बोला तक नहीं। चलते चलते पैरों में छाले पड़ गये। चलते चलते थक जाते तो पेड़ के नीचे बैठ कर आराम करने लगते। कई दिन हो गये अन्न का एक दाना भी मुँह में नहीं पहुँचा।

भूख थकान और श्रम ने उन्हें भिखारी सा बना दिया। अंत में राज्य की सीमा खत्म हुई उन्हें एक नगर मिला उन्हें ज्ञात हुआ कि एक जगह सदाव्रत चल रहा है, खिचड़ी मिल रही है वे वहाँ पहुँचे तब तक देर हो चुकी थी द्वारपाल द्वार बंद करने ही जा रहा था। यह देख आशा पर तुषारापात हुआ और राजा जनक को चक्कर आ गया। वे वहीं बैठ गये । आंखों से आंसू बहने लगे। यह देख बांटने वाले को दया आ गई वह बोला, ‘खिचड़ी तो खत्म हो गई है ,हाँ ,बरतन में खुरचन लगी हुई है तुम कहा तो खुरच दूँ।’

जनक के लिये तो जैसे वही वरदान था उन्होंने हाथ पसारते हुए कहा,‘ वही दे दो ’बांटने वाले ने खुरचन खुरची । वह जल भी रही थी। और  राजा जनक के हाथ पर रखी ही थी कि एक चील ने झप्पट्टा मारा, सारी खिचड़ी बिखर गई ।राजा जनक जोर से चिल्ला पड़े। साथ ही उनकी आंख खुल गई।

वैसे तो वे स्वप्न देख रहे थे ,पर चीख वास्तव में उनके मुँह से निकली थी। राजा की चीख सुनकर रानी, दास, दासियाँ, सेवक सब दौड़े आये। पसीने से तर बतर राजा की देह पांेछी उन्हें शीतल पेय दिया। सभी चितिंत ,‘राजा को क्या हुआ।’ राजा जनक बेहद परेशान हो उठे । दूसरे दिन )षियों, मुनियों और विद्वानों के सामने अपना स्वप्न सुनाते हुए बोले‘ कि इसका अर्थ क्या है?

ऋषि कुमार अष्टावक्र ने राजा से मुस्कराकर कहा’ महाराज स्वप्न ने ही तो सब कुछ सत्य कहा है।’

‘कैसे भगवत् स्पष्ट करें?’

‘जिस समय आप भिखारी थे, तब क्या क्या दास दासी सेवक आपके साथ थे?’

‘नहीं ’,उत्सुकता से राजा ने कहा।

‘और जब कोमल शैया पर महाराज बने लेटे थे तब’ 

‘तब तो सब थे।’

‘आप स्वयं तो दोनेां समय थे न।’ अष्टावक्र जी ने कहा।

‘हाँ मैं दोनों समय था।’

बस स्वप्न यही कह रहा है जो कुछ तुम स्वयं हो तुम हो ,संसार माया है। अपने दुःख सुख के साथ कर्मों के साथ स्वयं तुम हो।’

राजा जनक की जैसे आंख खुल गई। तब से राज काज करते हुए भी उन्होंने तपस्वी की भांति जीवन बिताना प्रारम्भ कर दिया।


kam ki baaten

 बैस्ट ऑफ वेस्ट

चाहे दो टमाटर निकले पर उन्हें पलते बढ़ते देखना सुखद लगता है कुछ सब्जियाँ ऐसी होती हैं जिन्हें बिना श्रम और परेशानी के गमले में उगाया जा सकता है। न पौध लानी न बीज लेकिन आपके पास कभी कभी काम आने वाली चीजें गमलों में आसानी से तैयार की जा सकती है । फ्लैट संस्कृति ने अब किचिन गार्डन की सुविधा भी खत्म कर दी है पर एक दो बालकनी तो होती है वहाँ कुछ गमले रखें । आप पुदीना खरीद कर लाये उसकी डंडिया फेकें नही।बस यह देख लें पुदीना जब आना प्रारम्भ होता है तब उनमें जड़ भी होती है जड़ वाला पुदीना होना चाहिये । पंत्तियाँ निकाल   लेने के बाद डंडियां मिट्टी में जमा दें। कुछ ही दिन में उसमें पत्तियाँ फूटने लगेंगी सिचाई करते रहें पूरी गरमियाँ पत्तियाँ मिलती रहेगी। 

हरा धनिया लगाने के लिये ,वैसे तो बिना पिसे सूखे धनिये को धूप दिखाये हल्के से बट्टे मे दबाये कि वह दो हिस्से में बट जाये फिर उसे गमले में बो दें यह सितम्बर माह में करे तो गमला हरे पत्तों से भर जायेगा पर अगर बाजार के हरे धनिये को जिसमें जड़ें होती हैं। उसके पत्ते काट लें जड़ों से दो तीन इंच तक की डंडिया छोड़ दे इन्हें मिट्टी में जमा दें। फिर से कोमल पत्तियाँ निकल आयेगी। 

 गाजर का ऊपरी हिस्सा एक इंच काटकर लगा दीजिये नई गाजर आ जायेगी। 

 लहसुन की कलियाँ अलग अलग कर गमले में गाड़ दीजिये नई लहसुन आ जायेगी। 

प्याज में कभी कभी रखी हुई में कोपल फूटने लगती है कोपल वाले हिस्से को कुछ नीचे से काटकर मिट्टी में गाड़ दें सलाद के लिये हरी प्याज की डंडिया बन जायेगी और कोपल फूटी साबुत प्याज ही जमा देगें तो कुछ दिन में प्याज की गाठे बन जायेगी। 

अधिक पके टमाटर कभी कभी खराब हो जाते हैं उसे गमले में दबा दें कुछ दिन में टमाटर के पौधे निकल आयेंगे अलग अलग गमले में जमा दीजिये और टमाटरों को देख कर सुखानुभूति का अनुभव करे। 

आलू में छोटे छोटे अंकुरण हो जाते हैं अंकुरित आलू को इस ढंग से काटे कि अलग अलग अंकुरण वाला हिस्सा रहे और उन्हें गमले में लगा दे। दो महीने में छोटे छोटे आलुओं में गमला भर जायेगा। 

अदरख की गांठों को अलग अलग कर गमले मे लगायें इसकी मिट्टी मुरमुरी रहनी चाहिये और नम तो रहे पर पानी अधिक न रहे तो अदरख तैयार होती रहेगी। 

सितम्बर माह में ही अगर मेथी दाना गमले में बिखर कर मिट्टी ऊपर नीचे कर दें और मंेथी पत्ता तैयार हो जायेगा। 

अजवाइन और सौंफ के पत्ते खुशबू के लिये लगा सकते हैं। फसल तो गमले में नही उग सकती पर जरा सी पत्तियाँ उसकी सब्जी में खुशबू के लिये डालिये। 

सैलेरी के पत्ते काम में लें बीच वाले हिस्से को  गाड़ दें नये पत्ते फूटते रहेंगे ।

इन सबसे ऊपर गमले में घर की सब्जी के छिलके चाय की पत्तियाँ धोकर अंडों के छिलके दबाते रहे खाद की आवश्यकता नही रहेगी। फल के सब्जी के छिलको को जरा सा मिक्सर मे चलाकर उन्हें गमलों में डालिये तो खाद के सड़ने का इंतजार नही करना पड़ेगा। अलग से खाद बनाने के लिये एक गमले में फल सब्जी के छिलके डालते रहें यह अवश्य करे कमी भी उसमें न गलने वाली चीज प्लास्टिक आदि न डालें और थोड़ी सी मिट्टी उसके ऊपर डालते रहें जिससे कि मच्छर नही होगें नही तो नन्हें नन्हें मच्छर पैदा हो जाते हैं। गमले में नीचे कोई प्लेट बगैरह लगा दें पानी न रहे तो बदबू आपको गमला हटाने को मजबूर कर देगा उसे ढककर धूप वाले हिस्से में रखें। अगर ख्ुली जमीन है तो गडढा बना ही सकते हैं और उसमें एकत्रित करें सबसे अच्छी खाद है ।

   


Thursday, 23 January 2025

Subhash chandr bose

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