Monday, 22 August 2016

ख्वाव बनकर तेरी आँखों मैं समाना है
दवा  बनकर  तेरे हर दर्द को है मिटाना है
हासिल है  ज़माने भर की खुशिया
पर मेरी हर ख़ुशी  को तुझ पर लुटाना है

कब तक जो मेरा होने से इंकार करेगी
टूट कर वो  दिन मुझसे प्यार करेगी
 दूंगा उसे इतना इश्क की आग मैं
कि  इजहार वो मुझे सरे बाज़ार करेगी


हसरत है तुझे पाने की
और कोई ख्वहिश नहीं इस दीवाने की
शिकवा मुझे तुझसे नहीं रब से है
क्या जरूरत थी इतना खूबसूरत बनाने की

एहसान नहीं एहसास है जिंदगी
जिंदगी के मोड़ पर इम्तहान है आशिकी
आशिकी जान  बड़ी नहीं
 साथ निभाने का नाम है आशिकी

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