Saturday, 27 August 2016

क्रोध

इर्ष्या भय और अहंकार क्रोध के मुख्या कारण  हैं इसके आलावा कोई भी व्यक्ति तब क्रोधित होता है जब कोई काम उसकी इच्छा के विपरीत होता है  अतृप्त व् असंतुष्ट लोग भी क्रोध की गिरफ्त मैं बहुत जल्दी व् आसानी  से आजाते  और क्रोध मैं आकार अपना अनिष्ट कर बैठते हैं

क्रोध को जीतने मैं मौन  सबसे  अधिक सहायक है  
     --महात्मा गाँधी

क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है मौन  स्वामी विवेकानंद द्वारा कहा गया यह वाकया कि मौन क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है क्रोध पर विजय प्राप्त करने का सर्व्श्रेस्थ उपाय है अत: आपको जब भी क्रोध ए तो चुप्पी साध लें हलाकि ये काम इतना असं नहीं है किन्तु चुप्पी क्रोध को शांत करने का सबसे प्रभवि व् शक्तिशाली समाधान है

जब आप क्रोध मैं हों तो दस तक और अति क्रोध मैं हों सों तक गिनती गिनें
_ नेफरसन


क्रोध करने का अर्थ है दूसरों की गलतियों की सजा खुद को देना _ अज्ञात

क्रोधित व्यक्ति दूसरों को चोट पहुँचाने की कोशिश करता है परन्तु सच तो ये है कि उसके क्रोध से दूसरों से ज्यादा उसी का अहित होता है

मार्क ट्वेन  के अनुसार क्रोध एक एसा तेजाब है जो उस बर्तन का अधिक अनिष्ट कर सकता है जिसमें वह भरा होता है जिस पर वह डाला जाता है उसका अनिष्ट कम होता है "यानि क्रोध ईएसआई अग्नि है जो सर्वप्रथम अपने निर्माता को जलाकर रख करती है उसके बाद दूसरों को  अत: खुद को भस्म न होने दें
गोतम बुद्ध के अनुसार जिस तरह उबलते हुए पानी से हम अपना प्रतिबिम्ब नहीं देख सकते उसी तरह क्रोध की अवस्था मैं कोई फैसला न लें
कहते है क्रोध एक तरह का क्षणिक पागलपन है जो बुद्धि को पूरी तरह नष्ट कर व्यक्ति को क्षण भर को पागल बना देता है और गुस्से मैं पागल व्यक्ति न सिर्फ दूसरों को बल्कि खुद को भी नुक्सान पहुचता है  जहाँ क्रोध पर काबू पाना बहुत जरूरी है 

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