पाकीजा मोहब्बत के तलबगार थे तुम
आजमा कर देखते बहुत वफादार थे तुम
हमने भी दामन मैं खुशियों को समेटना चाह
शायद इसी ख्वाहिश के गुनाहगार थे हम
उल्फत का ये दस्तूर होता है
जिसे चाहो वाही हम से दूर होता है
दिल टूट के बिखरता है इस कदर
जैसे कांच का खिलौना गिर कर चूर चूर होता है
कितनी जल्दी मुलाकात गुजर जाती है
बुझती नहीं प्यास और बरसात गुजर जाती है
अपनी यादों से कह डॉ इस कदर आया न करें
आती नहीं नीद और रात गुजर जाती है
दिल मैं तेरा नाम है तो किसी और के जज्बात कहाँ से लूँगा
किसी ओ चोट देकर खुद कैसे मुस्कराऊंगा
तुझे पाकर कमी न हुई तो छोड़ दिया सबको
अब जो तुम्ही रूठ जाओगे तो मैं कहाँ जाऊंगा
इश्क करने वाले आँखों की बात परख लेते हैं
सपनों मैं मिल जाये तो मुलाकात समझ लेते हैं
रोता तो आसमान भी जमीन के लिए है
उनके आसुओं को लोग बरसात समझ लेते हैं
सबने चाह था कि उनसे हम न मिले
हमने चाह कि उन्हें गम न मिले
अगर ख़ुशी मिलाती है उन्हें हमसे जुदा होकर
तो दुआ है की उन्हें हम न मिले
आजमा कर देखते बहुत वफादार थे तुम
हमने भी दामन मैं खुशियों को समेटना चाह
शायद इसी ख्वाहिश के गुनाहगार थे हम
उल्फत का ये दस्तूर होता है
जिसे चाहो वाही हम से दूर होता है
दिल टूट के बिखरता है इस कदर
जैसे कांच का खिलौना गिर कर चूर चूर होता है
कितनी जल्दी मुलाकात गुजर जाती है
बुझती नहीं प्यास और बरसात गुजर जाती है
अपनी यादों से कह डॉ इस कदर आया न करें
आती नहीं नीद और रात गुजर जाती है
दिल मैं तेरा नाम है तो किसी और के जज्बात कहाँ से लूँगा
किसी ओ चोट देकर खुद कैसे मुस्कराऊंगा
तुझे पाकर कमी न हुई तो छोड़ दिया सबको
अब जो तुम्ही रूठ जाओगे तो मैं कहाँ जाऊंगा
इश्क करने वाले आँखों की बात परख लेते हैं
सपनों मैं मिल जाये तो मुलाकात समझ लेते हैं
रोता तो आसमान भी जमीन के लिए है
उनके आसुओं को लोग बरसात समझ लेते हैं
सबने चाह था कि उनसे हम न मिले
हमने चाह कि उन्हें गम न मिले
अगर ख़ुशी मिलाती है उन्हें हमसे जुदा होकर
तो दुआ है की उन्हें हम न मिले
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