Wednesday, 8 January 2025

kirch kirch baten

 मैं जो करना चाहता था नहीं कर पाया अर्थात् हार मान ली कि अब वे कभी नहीं जीतेंगे ।


हमारे नेता पर कोई उंगली नहीं उठा सकता वे भ्रष्ट नहीं हैं इसका मतलब है बाकी सब भ्रष्ट हैं मानते हैं ।

लव खामोष हैं जिनके उनकी आंखों में इबारत होती है।


युद्ध में ष्षहीद को एक मां बेटा खोती है बेटा एक परिवार और परिवार घरती खो देता है जिसके लिये युद्ध हो रहा होता है ।

पत्र जिंदगी में आधी मुलाकात होते हैं उनसे जिंदगी झांकती है पत्रों से इतिहास झांकता है तत्कालीन समाज का चित्र मिलता है और विगत स्मृतियां तैर आती हैं


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