Monday, 27 June 2016

shayari

इक्कठे कर जहाँ के जार सभी मुल्कों के वाली थे
सिकंदर जब गया दुनिया से दोनों  हाथ खाली   थे


दुनिया भी अजब सराय फानी देखो
हर चीज यहाँ की आणि जनि देखो
जो आके न जय वह बुढ़ापा देखा
जो जाके न आये वह जवानी देखी 

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