Friday, 11 April 2025

Tips

 whenever You cook pumpkin or any other vegetable which has to be mashed after cooking cut into big pieces as it can then be mashed well it will also cook faster.

Torn pages of books can be mended by rubbing a little fevicol over the tear on both sides .This is better then mending from cello tape.

An iron tava will be sparkling clean if apply a mixture of tamarind and cleaning powder to it and leave it over night. It will be as good as new after clearing the next day .

cleaning window and door screens with kerosene is a doubly good idea. Because it not only removes dust from the screen but also keeps mosquitoes from setting on them.

Gold jewellery will shine as new if you clean it with a solution of a pinch of baking soda and detergent water. Dip an incense stick in Baygon liquid spray When dry light it .it will keep mosquitoes away

To procure the kernel of a coconut intact ,heat the coconut on all sides over a flame tap it all over and then break it open .The kernel will come out as a whole.

Those who chew betal leaves often stain their clothes with red marks , These stains can be removed by washing repeatedly with a warm sugar solution and then with water.

A stale loaf of bread can be freshened  considerably by dipping it in a mixture of milk and water for about a minute and then baking it a moderately hot oven for about 15 minutes.

To put drops in a small child's eyes with a little fuss as possible .Lay the child down then give him a torch and invite him to trace patterns with it by shining it on the ceiling this will absorb his attention and as the eyes follow the torch beam the eye drops will circulate well.

 If the alarm clock can't wake the  heaviest sleeper  try putting the clock in a metal tin ,it will magnify the sound.

castor oil is a good deterrent for flies .Wipe lights fittings bulbs switches aluminum sliding windows channel grooves etc.with castor oil then polish with a soft cloth. the flies will keep away from those areas and will not leave their unsightly fly specks.

Cut a circle of aluminum foil to fit inside your paint tin. It will prevent a skin formation on the surface .When you need the paint touch the foil with the brush and it will slowly sink to the bottom of the tin 

manavta ke par pul 12

 एनालेक्ट्स मेंए कन्फ्यूशियस ने सद्भाव या व्यवस्था जैसी किसी चीज़ को दर्शाने के लिए चीनी शब्द श्वेनश् का उपयोग किया है। यहां बताया गया है कि अनुवादक डीण्सीण् लाउ इस शब्द का अर्थ कैसे समझाते हैंरू सबसे पहलेए वेन एक सुंदर पैटर्न का प्रतीक है। उदाहरण के लिएए तारों का पैटर्न स्वर्ग की वेन हैए और बाघ की त्वचा का पैटर्न उसकी वेन है। मनुष्य पर लागू होने परए यह उन सुंदर गुणों को संदर्भित करता है जो उसने शिक्षा के माध्यम से हासिल किए हैं।श्12 ☺

कन्फ्यूशियस के लिएए अनुष्ठानों और शिक्षा के आसपास संरचित जीवन यह था कि मानवता श्वेनश् के अपने स्वयं के रूप को कैसे विकसित कर सकती हैए इस प्रकार प्रजातियों को सामंजस्यपूर्ण रूप से खुद को जोड़ने की अनुमति मिलती है ब्रह्मांड का वृहत् ताना.बानाण् अनुष्ठान और शैक्षिक संरचना भी एक ऐसी सभ्यता पर एक सामान्य नैतिक आदेश लागू करके शांति स्थापित करने का एक तरीका था जो हाल ही में गृहयुद्ध के लंबे अराजक वर्षों में उलझी हुई थी। हालाँकिए ताओवादी दर्शन अनुष्ठान और मानव निर्मित संस्थानों को समस्या के हिस्से के रूप में देखता है। 

लेकिन जब सामाजिक व्यवस्था के सवाल की बात आती है तो कन्फ्यूशीवाद और ताओवाद असहमत होते

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 हैंए वे ब्रह्मांड की प्राकृतिक व्यवस्था के लिए एक सामान्य रूपरेखा साझा करते हैंरू श्यिनश् और श्यांगश् की जुड़वां ताकतों के बीच संतुलन। यिन यांग प्रतीक जिससे हममें से कई लोग परिचित हैंए एक वृत्त को दर्शाता है जिसमें आधा सफेद और आधा काला हैय प्रत्येक आधे भाग के केंद्र में एक प्रकार की जर्दी होती है जो ब्रह्मांड में मूल व्यवस्था की वैदिक अवधारणा से तुलना करती है जिसे हमने पहले देखा था। 

     ताओवाद और कन्फ्यूशीवाद पूरे ब्रह्मांड में सभी घटनाओं को यिन और यांग की इन जुड़वां शक्तियों की विभिन्न अभिव्यक्तियों के रूप में देखते हैंए जो खुद को असंख्य तरीकों से प्रकट करते हैंरू प्रकाश और अंधेराए दिन और रातए सूरज और चंद्रमाए पुरुष और महिलाए कठोर और नरम ए गर्म और ठंडाए आदि। जैसा कि ताओवादी संत लाओ त्ज़ु बताते हैंरू 

 है और नहीं है एक दूसरे को बनाते हैंए 

कठिन और आसान एक दूसरे को बनाते हैं 

लंबे और छोटे एक दूसरे को आकार देते हैंए 

एक दूसरे को उच्च और निर्म्न ाआकार देते हैंए 

एक दूसरे को पूरा करते हैंए

 नोट और शोर एक दूसरे के साथ होते हैंए

 पहले और आखिरी में एक दूसरे का अनुसरण करते हैं। 


Saturday, 8 February 2025

pyar ka bukhar 14 feb

 प्यार का बुखार


फरवरी माह के आते ही जैसे पृथ्वी में स्पंदन होना प्रारम्भ हो जाता है एक हलचल एक उत्साह जैसे ह्नदय में गुनगुनाहट भर जाती है प्रकृति नृत्य करने लगती है गुलाबी गुलाबी सर्दी जैसे बोझ मुक्त श्शरीर हो। जिन पंछियों की आवाज सुनाई नही पड़ती थी क्योकि तीखी हवा ने खिड़की दरवाजे बंद कर दिये। वे भी उन्मुक्त हो गये तो पंछियों की चहचहाट भी सुनाई पड़ने लगी जैसे वे भी कह रहे हो वर्ष का सबसे प्यारा प्यारा दिन आने वाला है। प्यार करो प्रकृति भी प्यार से भीगना चाहती है ओस की बूंदे भी कहने लगती हैं मै धरती मैं समाना चाहती हूॅं फूल पूर्ण सौंदर्य के साथ खिल उठते हैं। 

प्यार का दूसरा नाम सुन्दरता है जो प्यारा है वह सुदंर है। अपने दिल की धड़कन पूरे साल संजोये रहते हैं उसे हथेली पर लेकर निकलते हैं वेलेंटाइल डे पर 14 फरवरी को प्रेमिकाएंे भी इंतजार में पूरे साल  टकटकी लगाये रहती है कि प्रेमी इजहार करेगा। दिल ही तो है न जाने कब किसका दिल आ जाये और न जाने किस पर खुद का दिल लग जाये। 

   लो फिर आ गई 14 फरवरी वो तो हर साल आयेगी ही। 365 दिन बाद फिर आयेगी। जो पिछले साल फंस गये वो तो फंस चुके उनके लिये तो बेकार हो गया और जो उससे पिछली बार फंसे वो तो अब लोरी गा रहे होेगे अब उनका चाँद और चाँदनी होगी मेरा चंदा है तू मेरा सूरज है तू । जो होशियार होगे वो अभी दो चार साल फूल खरीदेगंे पहले जमाना होता तो गाते फूल तुम्हे भेजा है खत मंे फूल नहीं मेरा दिल है“ अब तो एम एम एस पर एस एम एस भेजते जाओ दिल बनाओ तीर बनाओ दिलो को छेदते जाओं जितने तरकश में तीर हों । फोन से बदल कर भेजते जाओ कोई तो ंिबध ही जायेगा। 

प्यार का बुखार चढ़ता दुनिया के कोने कोने मे है प्यार के दुश्मनों ने पहरे लगाये पर प्यार तो एक जुनून है इसने बड़े बड़े समुंदर पार करा दिये पहाड़ लंघवा दिये नदिया घड़ों के सहारे पार करवा दी तो कानून की किसे परवाह है छिपाकर ब्याह कर लिया और बंद कमरे के पीछे विवाह कराया संत वेलेंटाइन ने यह रोग ही महामारी की तरह और तेजी से फैलता है ,फैल गया 14 फरवरी का बुखार पूरी दुनिया में और इंग्लैंड में तो बाकायदा मार्च पास्ट निकलने लगा इंगलैंड में गुड मार्निग टू यू वैलेंटाइन गीत गाते बच्चे निकलते हैं। प्रेम के इजहार के भी तो तरीके है अलग अलग देश में अलग अलग ढंग। कहीं कही लड़की को लड़का पोशाक भेंट करता है। अगर लड़की भेंट रख लेती है तो समझ लेता है कि उसका प्रेम स्वीकर है। 

प्रेमिका और प्रेमी का दिल धकधक करता रहता है पता नही प्रेम स्वीकार है या नहीं अनेक फूलों की एक एक पंखुरी तोड़ते जाते हैं। स्वीकार है नही है जो बचा खुशी या गम ,स्काटलैंड मंे 14 फरवरी को आँख ख्ुालते ही जो पहली सूरत दिखाई देती है वहीं प्रेमी होता है इसलिये दोपहर 12 बजे के बाद यह अला बला टल जाती है इसलिये दोपहर तक लड़कियॉं उस दिन बाहर नही निकलतीं। मुँह लपेटे पड़ी रहती हैं कहीं कोई टेड़ा मेड़ा न आ जाये सामने और उसे गाना पड़े मैं का कँरू राम मुझे बुढ्ढा मिल गया। हाय हाय बुढ्ढा मिल गया। 

प्रेम को लेकर अनेक मान्यताऐं हैं यदि किसी लड़की के सिर के ऊपर से गौरेया निकल जाय उसका विवाह किसी जहाजी से होगा ,उस समय तो जनम जनम का साथ चाहिये‘ जनम जनम का साथ है निभाने को, सौ सौ बार मैने जनम लिया ’अब प्रेमी ने लिया प्रेमिका ने लिया कि नही यह कैसे पता लगे गाने को तो दोनों ही गाते जायेंगे ‘सौ बार जनम लेगें ऐ जाने वफा फिर भ्ी हम तुम न जुदा होगें...... ’हाँ प्रेमी प्रेमिका तब तो ठीक पति पत्नी बनते ही हाथ लेबा होते ही दो पहलवान हाथ मिलाने लगते हैं सच है इस दिल का लगाना नहीं दिल्लगी, नहीं दिल्लगी । जिगर चाहिये दिल लगाने के लिये हिम्मत कि पूरी ंिजंदगी पीछा नहीं छुटेगा । सोच समझकर दिल लगाओ हाँ आज की पीढ़ी के लिये नो टेंशन चट प्यार पट तकरार और झट तलाक न तुम हमें जानों ना हम तुम्हें जाने। 

फिर सर्फिग शुरू चिड़िया उड़े तो शादी किसी धनवान से होगी। प्रेम होगा तो विवाह तो होगा ही नही ंतो लैला मंजनू शीरी फरहाद की कहानी होगी उससे कोई फायदा नहीं होगा। अब विवाह होगा तो वंश बढे़गा अब कितनी संतान होगी इसके लिये प्रेमियों का जोड़ा सेब को चाकू से काटें । सेब के आधे भाग में जितने बीज एक बार में दिखाई दे उतने बच्चे होगें। क्या करना है ब्लड टैस्ट या जन्मपत्री का अच्छा तरीका है ओर नही तो हथेली पर पीले फूलों की पंखुरिया रखकर जोर से फूंक मारो जितनी पंखुरी हथेली पर बचे उतनी संतान होगी। ध्यान रहे बिलकुल सुखा लेना तभी आजमाना गीले पंखुरी भारी नही उड़ी तो बाप रे बाप बीस पच्चीस बच गई तो। 



Wednesday, 5 February 2025

Why we say

 

He is breaking up the wrong tree

 

Mistaken in one’s judgment

In old days in fight the raccoons takes a tree and remains in safty far up in the highest branches .

It was the hunting dog’s responsibility to remain at the foot of the tree and keep the raccoon a prisoner by barking continuously until his master arrives to take raccoon . Sometimes the dog makes a mistake in the excitement of the chase or in the failing light and when morning comes it is all too obvious the dog has been barking up the wrong tree

 

To eat humble pie

 

To apologize for one’s behavior

The  correct term is umble pie that is still made in some parts of Britain

 

DDlj tom cruice was originally recommended as Raj Malhotra

A total of 30%of increase was noticed in Indian Tourist going to Spain after Zindagi na milegi Dobara was released

Grand Father of  Kalki  Koechlins worked as the chief engineer for the construction of the Effil Tower

First Indian Film to be ever released in China was Lagan .It was dubbed in Chinese an d premiered in Shanghai Beizing.

When Shri Devi was 13 years old she acted as Rajnikant ‘s stepmother in a film .

 

The ant can lift 50 times its own weight ,can pull30 times its own weight and always falls over on its right side when intoxicated .

polar bears are left handed

The catfish has over 27,000 taste buds

 

 

The flea can jump350 times its body length .Its like a human jumping the length of a football field

A cockroach will live nine days without its head ,before it starves to death .

Some lions mate over 50 times a day

Butterflies taste with their feet

An ostrich’s eye is bigger than its brain .

Star fish do not have brains .

Tuesday, 4 February 2025

kanya bhroon hatya kyon

 कन्या भ्रूण हत्या ईश्वर के निर्णय को उलटना है, कन्या ईश्वर का वरदान है, माँ को हम इश्श्वर का रूप मानते हैं दर्जा देते हैं लेकिन उसी माँ की कोख में पल रही भावी माँ की हत्या कर देते हैं। 9 माह तक जिसे अपनी कोख में पालती है अपने रक्त से पोषित करती है उसकी हत्या कर देती है क्योंकि वह उसकी अपनी प्रतिकृति है। एक सामाजिक निर्णय कि बेटी देने के साथ दहेज देना होगा ऐसा अमानवीय निर्णय यह समझ में नहीं आता जो हृदय का टुकड़ा तुम्हारे घर को चलाने हेतु देखभाल हेतु आगे तुम्हारे घर में चिराग देने के लिये जा रही है उसको तुम कपड़ा खाना नही दे सकते। एक नौकरानी को भी यदि काम के लिये रखा जाता है तो उसे खाना कपड़ा दिया जाता है दहेज देना ही गलत है । न कन्या दान की वस्तु है और दान लेने वाला यदि इतना समर्थ नहीं है कि वह घर की होने वाली धुरी को लट्टू की तरह नचा तो सकता है पर उसे धुरी को चिकनाई नहीं प्रदान कर सकता है, ऐसे निकम्मे निखटटुओं को विवाह करना ही नहीं चाहिये बल्कि कन्या के घर वालो को वर पक्ष को उपहार देने चाहिये कि उनकी घर की शोभा है महिला।

☺ार में सुन्दरता, स्वव्छता, एकरूपता, और ऊर्जा लाती है महिला । बेटियां घर की चहक होती हैं। वे खास होती हैं उनका घर में जो स्थान है वह कोई नहीं ले सकता । पुरुष विवाह घर बनाने के लिये करता है। बिन घरनी घर भूत का डेरा जिस घर में लड़की न हो या महिला न हो वह घर घर नहीं होता, एक श्मशान से भी गया गुजरा होता है वह एक ऐसी चिता पर लेटा होता है जिसकी आग उसे झुलसा कर नरक का ऐहसास कराती है। हर गृहणी का ऋणी होता है ।पुरूष तो न कन्या न पुत्र किसी को जन्म नहीं दे सकता हाँ कारक होता है पर कन्या या पुत्र क्या जन्म लेगा दोनांे का ही जिम्मेदार पुरूष है स्त्री तो जन्मदात्री है फिर दोषी महिला क्यों? 


Wednesday, 29 January 2025

uktiyan

 हम कहते हैं मैंने अन्न उपजाया परन्तु कारक कोई और है। सूर्य के बिना अन्न नहीं उत्पन्न हो सकता ।

इन्द्रधनुष भ्रम जाल है ।

सूर्य एक है उसने अपने जैसा कोई नहीं बनाया उससे तो दीपक अच्छा जिसने स्वयं प्रकाषित होने के साथ अनेकों दीपक जला दिये ।

चलते हम हैं कहते हैं सूर्य चल रहा है चंद्रमा चल रहा है बादल चल रहे हैं।


स्वाति बूंद पावन परम सीप पड़े मोती बने,माटी में मिल जाये सुवर्ण बने नहीं तो माटी में मिल कर उसे उपजाऊ बना देती है।और बीज प्रस्फुटित होने के लिये तत्पर हो जाते हैं।

नदी ष्षीतल पाटी ओढ़कर अंधेरे में ष्षांत सो जाती है।सूर्य उसकी चादर समेटकर उसे जगाकर कहता है बहो नदी तुम बहो।

नदी को कौन मार्ग बतलाता है ीजारों कोस चलकर सागर से मिल जाती है

स्ूार्य को कौन मार्ग दिखाता है पर अपनी राह चलता जाता है न कोई संगी न साथी  लेकिन ब्रह्मांड में धूमता रहता है 


Tuesday, 28 January 2025

janak ka swapn

 जनक का स्वप्न


एक बार महाराज जनक ने स्वप्न देखा कि किसी शत्रु ने मिथिला पर आक्रमण कर दिया है। उसकी अपार सेना ने नगर को घेर लिया है। भीषण यु( कई दिन तक चलता रहा अंत में महाराज जनक की पराजय हो गई । शत्रु सेना के सेनापति ने उन्हें बंदी बना लिया और अपने राजा के सामने पेश किया। विजयी नरेश ने आज्ञा दी कि जनक के समस्त वस्त्र व आभूषण उतार कर मात्र एक वस्त्र देकर राज्य से निकाल दिया जाये। साथ ही अपने राज्य वासियों से कहा ,‘यदि किसी ने भी जनक को भोजन या वस्त्र या आश्रय दिया तो उसे प्राण दण्ड दिया जायेगा।’

एक छोटा सा वस्त्र कमर पर बांध कर महाराजा जनक दरबार से निकल कर राज्य से बाहर की सीमा पार करने के लिये निकल पड़े। प्राणभय से कोई उनसे बोला तक नहीं। चलते चलते पैरों में छाले पड़ गये। चलते चलते थक जाते तो पेड़ के नीचे बैठ कर आराम करने लगते। कई दिन हो गये अन्न का एक दाना भी मुँह में नहीं पहुँचा।

भूख थकान और श्रम ने उन्हें भिखारी सा बना दिया। अंत में राज्य की सीमा खत्म हुई उन्हें एक नगर मिला उन्हें ज्ञात हुआ कि एक जगह सदाव्रत चल रहा है, खिचड़ी मिल रही है वे वहाँ पहुँचे तब तक देर हो चुकी थी द्वारपाल द्वार बंद करने ही जा रहा था। यह देख आशा पर तुषारापात हुआ और राजा जनक को चक्कर आ गया। वे वहीं बैठ गये । आंखों से आंसू बहने लगे। यह देख बांटने वाले को दया आ गई वह बोला, ‘खिचड़ी तो खत्म हो गई है ,हाँ ,बरतन में खुरचन लगी हुई है तुम कहा तो खुरच दूँ।’

जनक के लिये तो जैसे वही वरदान था उन्होंने हाथ पसारते हुए कहा,‘ वही दे दो ’बांटने वाले ने खुरचन खुरची । वह जल भी रही थी। और  राजा जनक के हाथ पर रखी ही थी कि एक चील ने झप्पट्टा मारा, सारी खिचड़ी बिखर गई ।राजा जनक जोर से चिल्ला पड़े। साथ ही उनकी आंख खुल गई।

वैसे तो वे स्वप्न देख रहे थे ,पर चीख वास्तव में उनके मुँह से निकली थी। राजा की चीख सुनकर रानी, दास, दासियाँ, सेवक सब दौड़े आये। पसीने से तर बतर राजा की देह पांेछी उन्हें शीतल पेय दिया। सभी चितिंत ,‘राजा को क्या हुआ।’ राजा जनक बेहद परेशान हो उठे । दूसरे दिन )षियों, मुनियों और विद्वानों के सामने अपना स्वप्न सुनाते हुए बोले‘ कि इसका अर्थ क्या है?

ऋषि कुमार अष्टावक्र ने राजा से मुस्कराकर कहा’ महाराज स्वप्न ने ही तो सब कुछ सत्य कहा है।’

‘कैसे भगवत् स्पष्ट करें?’

‘जिस समय आप भिखारी थे, तब क्या क्या दास दासी सेवक आपके साथ थे?’

‘नहीं ’,उत्सुकता से राजा ने कहा।

‘और जब कोमल शैया पर महाराज बने लेटे थे तब’ 

‘तब तो सब थे।’

‘आप स्वयं तो दोनेां समय थे न।’ अष्टावक्र जी ने कहा।

‘हाँ मैं दोनों समय था।’

बस स्वप्न यही कह रहा है जो कुछ तुम स्वयं हो तुम हो ,संसार माया है। अपने दुःख सुख के साथ कर्मों के साथ स्वयं तुम हो।’

राजा जनक की जैसे आंख खुल गई। तब से राज काज करते हुए भी उन्होंने तपस्वी की भांति जीवन बिताना प्रारम्भ कर दिया।


kam ki baaten

 बैस्ट ऑफ वेस्ट

चाहे दो टमाटर निकले पर उन्हें पलते बढ़ते देखना सुखद लगता है कुछ सब्जियाँ ऐसी होती हैं जिन्हें बिना श्रम और परेशानी के गमले में उगाया जा सकता है। न पौध लानी न बीज लेकिन आपके पास कभी कभी काम आने वाली चीजें गमलों में आसानी से तैयार की जा सकती है । फ्लैट संस्कृति ने अब किचिन गार्डन की सुविधा भी खत्म कर दी है पर एक दो बालकनी तो होती है वहाँ कुछ गमले रखें । आप पुदीना खरीद कर लाये उसकी डंडिया फेकें नही।बस यह देख लें पुदीना जब आना प्रारम्भ होता है तब उनमें जड़ भी होती है जड़ वाला पुदीना होना चाहिये । पंत्तियाँ निकाल   लेने के बाद डंडियां मिट्टी में जमा दें। कुछ ही दिन में उसमें पत्तियाँ फूटने लगेंगी सिचाई करते रहें पूरी गरमियाँ पत्तियाँ मिलती रहेगी। 

हरा धनिया लगाने के लिये ,वैसे तो बिना पिसे सूखे धनिये को धूप दिखाये हल्के से बट्टे मे दबाये कि वह दो हिस्से में बट जाये फिर उसे गमले में बो दें यह सितम्बर माह में करे तो गमला हरे पत्तों से भर जायेगा पर अगर बाजार के हरे धनिये को जिसमें जड़ें होती हैं। उसके पत्ते काट लें जड़ों से दो तीन इंच तक की डंडिया छोड़ दे इन्हें मिट्टी में जमा दें। फिर से कोमल पत्तियाँ निकल आयेगी। 

 गाजर का ऊपरी हिस्सा एक इंच काटकर लगा दीजिये नई गाजर आ जायेगी। 

 लहसुन की कलियाँ अलग अलग कर गमले में गाड़ दीजिये नई लहसुन आ जायेगी। 

प्याज में कभी कभी रखी हुई में कोपल फूटने लगती है कोपल वाले हिस्से को कुछ नीचे से काटकर मिट्टी में गाड़ दें सलाद के लिये हरी प्याज की डंडिया बन जायेगी और कोपल फूटी साबुत प्याज ही जमा देगें तो कुछ दिन में प्याज की गाठे बन जायेगी। 

अधिक पके टमाटर कभी कभी खराब हो जाते हैं उसे गमले में दबा दें कुछ दिन में टमाटर के पौधे निकल आयेंगे अलग अलग गमले में जमा दीजिये और टमाटरों को देख कर सुखानुभूति का अनुभव करे। 

आलू में छोटे छोटे अंकुरण हो जाते हैं अंकुरित आलू को इस ढंग से काटे कि अलग अलग अंकुरण वाला हिस्सा रहे और उन्हें गमले में लगा दे। दो महीने में छोटे छोटे आलुओं में गमला भर जायेगा। 

अदरख की गांठों को अलग अलग कर गमले मे लगायें इसकी मिट्टी मुरमुरी रहनी चाहिये और नम तो रहे पर पानी अधिक न रहे तो अदरख तैयार होती रहेगी। 

सितम्बर माह में ही अगर मेथी दाना गमले में बिखर कर मिट्टी ऊपर नीचे कर दें और मंेथी पत्ता तैयार हो जायेगा। 

अजवाइन और सौंफ के पत्ते खुशबू के लिये लगा सकते हैं। फसल तो गमले में नही उग सकती पर जरा सी पत्तियाँ उसकी सब्जी में खुशबू के लिये डालिये। 

सैलेरी के पत्ते काम में लें बीच वाले हिस्से को  गाड़ दें नये पत्ते फूटते रहेंगे ।

इन सबसे ऊपर गमले में घर की सब्जी के छिलके चाय की पत्तियाँ धोकर अंडों के छिलके दबाते रहे खाद की आवश्यकता नही रहेगी। फल के सब्जी के छिलको को जरा सा मिक्सर मे चलाकर उन्हें गमलों में डालिये तो खाद के सड़ने का इंतजार नही करना पड़ेगा। अलग से खाद बनाने के लिये एक गमले में फल सब्जी के छिलके डालते रहें यह अवश्य करे कमी भी उसमें न गलने वाली चीज प्लास्टिक आदि न डालें और थोड़ी सी मिट्टी उसके ऊपर डालते रहें जिससे कि मच्छर नही होगें नही तो नन्हें नन्हें मच्छर पैदा हो जाते हैं। गमले में नीचे कोई प्लेट बगैरह लगा दें पानी न रहे तो बदबू आपको गमला हटाने को मजबूर कर देगा उसे ढककर धूप वाले हिस्से में रखें। अगर ख्ुली जमीन है तो गडढा बना ही सकते हैं और उसमें एकत्रित करें सबसे अच्छी खाद है ।

   


Thursday, 23 January 2025

Subhash chandr bose

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Saturday, 18 January 2025

jeevan kya hai

 

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Tuesday, 14 January 2025

makar sankrati

 मकर संक्रांति




‘माघ मकरगत रवि जब होई ,तीरथ पतिहि आव सब कोई ’... तुलसीदास 

जब सूर्य मकर राषि में, प्रवेष करता है तो ब्रह्माण्ड के सभी देवी देवता तीर्थकर प्रयाग पर एकत्रित होते है।मकर संक्रांति का पर्व आध्यातिमक और वैज्ञानिक दोनों ही दृ िटयों से महत्वपूर्ण हैों

मकर संक्राति सूर्य उपासना का दिन है सूर्य पृथ्वी का आधार है पृथ्वी पर जीवन सूर्य से ही है इसीलिये उसे सविता भी कहते हैं। जीवन का आधार ज्ञान का आधार सम्पूर्ण विष्व को प्रकाषित करने वाले तेजपुंज अर्थात् ज्ञान का प्रकाष फैलाने वाला,पृथ्वी पर जीवन के साथ ही सूर्याेपासना प्रारम्भ हुई। वैदिक काल से जिनकी उपासना की जाती है क्योंकि सम्पूर्ण सौर मंडल सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता है।और परिक्रमा पूरी होने पर  वह दिशा बदल कर उत्तर की ओर बढ़ता हैसूर्य स्वयं ही बदलाव का अधिपति है इसी को उत्तरायण की स्थिति कहते हैं। भारतीय वर्ष की स्थिति सूर्य से ही चलती है । इसी दिन से हमारी धरती एक नये वर्श में नयी गति में प्रवेष करता है ।साथ ही सूर्य यात्रा पथ भी बदलता है


हिन्दू धर्म में वर्ष को दो भागों में बांटा है उत्तरायण और दक्षिणायन इसी प्रकार माह को भी दो भागों में बांटा है शुक्लपक्ष और कृष्ण पक्ष

‘तमसो मा ज्योर्तिगमय ’हे सूर्यदेव हमे अंधकार से प्रकाष की ओर ले चलो। सूर्य महर्षि कष्यप व अदिति के पुत्र है उनकी दो पत्नियों संज्ञा व छाया है। उनके छः संतान है। सूर्य हर माह एक राषि पर भ्रमण करते हैं अर्थात् 12 महिने और बारह राषियाँ इस प्रकार हर माह एक संक्राति होती है। जब सूर्य मकर राषि मंे प्रवेष करता है तब मकर संक्राति होती है और इस दिन सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। बारह राषियों में छः राषियों में सूर्य उत्तरायण होते है ये है मकर से मिथुन तक ओर कर्क से धनु राषि तक सूर्य दक्षिणायन होते है। ये पृथ्वी के छः माह देवताओं के रात और दिन हैं । उत्तरायण के छः माह देवताओं का एक दिन और दक्षिणायन के छः माह देवताओं के एक रात होती हैं। उत्तरायण काल को दो वेदों मे पुण्य काल माना है और साधना और सिद्धियों का फलीभूती करण काल । यह मुक्तिकाल है भीष्म पितामाह ने उत्तरायण काल मंे ही प्राण त्यागे। 

सूर्य कर्क संक्राति काल में दक्षिणायन और मकर संक्राति काल में उत्तरायण हो जाते है। कर्क संक्राति के समय सूर्य की पीठ हमारी ओर होती है और रथ का मुँह दक्षिण की ओर। मकर संक्राति काल से उत्तर की ओर पीठ पृथ्वी और मुख होता है। इस प्रकार उत्तरायण में सूर्य देव हमारे निकट होते है। ये पृथ्वी की ओर कुछ ढलते जाते है। नये साल में हिंदुओं का  पहला पर्व मकर संक्राति होता है। जब मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है । तब मकर संक्राति का त्यौहार मनाया जाता है।

इस दिन से सूर्य की क्रांति में परिवर्तन  होना शुरू हो जाता है । इस त्यौहार में बसंत का आगाज होता है । यह त्यौहार हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है । पृथ्वी अपने नये स्प में ढलने लगती है इसलिये यह दिन अपने आप ष्षुभ हो जाता है। मकर संक्राति का दिन निष्चित है यही एक दिन ऐसा है भारतीय त्यौहारों में जो अंग्रेजी माह के अनुसार 14 जनवरी को पड़ता है लेकिन अब 21 वी सदी मंे यह 15 जनवरी को पड़ता है 19 वीं सदी मेें 12 या 13 जनवरी को पडता था। स्वामी विवेकानन्द का जन्म मकर संक्राति को हुआ था जबकि अग्रेजी तारीख में 12 जनवरी 1863 ई॰ में हुआ था। 75 वर्ष बाद एक दिन बढ़ जाता है। बीसवी षताब्दी के प्रारम्भ में यह 13 जनवरी केा आती थी फिर 14 जनवरी और अब 21 वी सदी में यह 15 जनवरी को पड़नी प्रारम्भ हो गई है क्योकि हर चौथे वर्ष लीप ईयर होने से एक दिन बढ़ जाता है। 

मंकर संक्राति के पीछे दो पौराणिक कथाऐं है।  राजा भगीरथ अपने पुरखे राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को मुक्ति दिलाने के लिये षिव जी की आराधना करके गंगा को पृथ्वी पर लाये थे गंगा के वेग को षिव जी ने अपनी जटाओं में सभांला वहाँ से षिव ने अपनी एक लट खोली ओर गंगा की एक धारा पृथ्वी पर बढ़ी। आगे भगीरथ और पीछे पीछे गंगा। गंगोत्री से हरिद्वार प्रयाग होते हुए कपिल मुनि के आश्रम में पहुँची यहीं पर कपिल मुनि ने सगर पुत्रों को क्रोधागिन से भस्म कर दिया था। 

वह दिन मकर संक्राति ही थी जिस दिन उनका भगीरथी के द्वारा तर्पण किया गया। आज वह गंगा सागर तीर्थ के रूप में माना जाता है। गंगा सागर के संगम स्थल पर नहाने से मोक्ष प्राप्त होता हे 

मकर संक्राति के दिन ही पितृ भक्त परषुराम ने अपनी माता का मस्तक पिता की आज्ञा मानकर काट दिया था। पिता के प्रसन्न होने पर वर माँगने की कहने पर परषुराम ने कहा था कि उनकी माँ को पुर्नजीवित कर दें। उनकी माता पुर्नजीवित हो गई यह दिन मकर संक्राति का पर्व है। 

मकर संक्राति पोंगल ,लोहिड़ी ,माघी ,मोगली ,बिहु,व खिचड़ी आदि नामों से है मकर संक्रांति की यह भी मान्यता है  िकइस दिन यशोदा ने श्रीकृष्ण को प्रान्त करने के लिये व्रत किया था। मान्यता है इस दिन भगवान् अपने पु.त्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हें चॅंकि शनि देव मकर  राशि के स्वामी हैं ।

मकर संक्राति इस बात की ओर इंगित करती है कि अब षीत ़ऋतु की विदाई है और ग्रीष्म ऋतु आने वाली है। भारत में हर दो माह ऋतु परिवर्तन होते हैं। परंपराओं के अनुसार सूय्र तिल तिल आगे बढ़ता है इसलिये इस दिन तिल के विभ्सिन्न मिष्ठान बनाये जाते हैं ष्षीत ऋतु की विदाई अर्थात् तिल गुड़ ष्षीत ऋतु के खाद्य पद्धार्थ खाओ और दान कर पुण्यलाभ करेा। 

मकर संक्राति पूरे भारतवर्ष में अलग अलग नाम से मनाया जाता है। दक्षिण भारत में उसे पौगल उत्सव कहते है। नव उर्त्सजित पोंगल चावल का भोग लगाया जाता है व सेवन किया जाता है। नृत्य आदि समारोह से अन्न भंडारण का यह समारोह मनाया जाता है। 

हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड पर सूर्य के संक्रमण काल का सर्वाधिक महत्व माना जाता हे।सूर्य के उत्तरायण में प्रवेष और मकर राषि होने पर ये किरणें हरिद्वार में ब्रह्मकुंड में सीधे प्रक्षेपण करती हैं। हरिद्वार के ब्रह्मकुंड की भौगोलिक स्थिति रेखांष व अक्षांष की स्थितियों में इस समय अनुकूल बैठती है

उत्तर प्रदेश- दान पर्व है। उत्तर भारत में खिचड़ी का विषेष महत्व होता है। खिचड़ी ही खाई जाती है व दान की जाती है इस दिन 14 वस्तुएंे दान कर अगले जन्म के लिये संचयित किया जाता है। अक्षय पुण्य का लाभ मिलता है। इस दिन इलाहाबाद में संगम पर एक माह तक लगने वाले माह मेले की शुरूआत होती है ।उत्तर भारत में गंगा यमुना के तटों पर बसे कस्बे और षहरों में मलों का आयोजन होता हे


 पंजाब में यह लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। अग्नि की परिक्रमा के साथ नवजीवन को षुभ कामनाऐं देते हुए अग्नि को तिल गुड़ मूंगफली मक्का आदि का भोग लगाते है।‘ दे मा लोहड़ी तेरी जीवे जोड़ी ’बोलते हुए परिक्रमा लगाते है। प्रचलित कथा के अनुसार कंस ने भगवान् कृष्ण को मारने के लिये लोहित नामक राक्षसी को भेजा था,सिंधी समाज भी मकर संक्रान्ति के एक दिन पहले लाल लोही का पव्र मनाता है ।

राजस्थान मे इसे पंतग उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस चौदह प्रकार के पकवान ब्राह्मणों और सुहागिन स्त्रियों को बाँटा जाता है। 

महाराष्ट्र मे यह पर्व भोगी, संक्राति करिदिन के रूप से मनाया जाता है। यह तीन भाग में मनाया जाता है। संक्राति से एक दिन पहले खिचड़ी व गुड़ की रोटी का सेवन किया जाता है। संक्राति के दिन सभी लोग एक दूसरे को तिल गुड बाँटते है साथ ही साथ बोलते जाते है तिल-गुड़ धा आणि गोड गोड करिदिन अर्थात् संक्राति के बाद वाले दिन घिरडे ताऐं का सेवन किया जाता है। इसे तिलगुल भी कहते है। सुहागन महिलाऐं एक स्थान पर एकत्रित होकर हल्दी कुमकुम की रस्म करती हैं और उपहार स्वरूप बर्तन भेंट करती है।

मध्यप्रदेष में यह पर्व मकर संक्राति के रूप में मनाया जाता है और तिल गुड़ लड्डू कपास नमक बर्तन आदि दान मंदिरों और ब्राह्मणों को दिया जाता है। 

केरल में इसे ओणम नाम से जाना जाता है। ओणम में घरों मे रंगोली बनाई जाती है तिल घी कंबल आदि दान की जाती है। 

असम मे बिहू के रूप में यह त्यौहार मनाय जाता है। पानी में तिल डालकर स्नान करने के प्ष्चात् तिल दान करने का प्रचलन है। भूने अनाजों से वयंजन तैयार करती है। जिसे कराई कहा जाता है। 

दान का व तिल के दान का महत्व संपूर्ण भारतवर्ष में किसी न किसी रूप से अवष्य किया जाता है और इन दिनों षीत ऋतु अपने पूर्ण रूप में होती है। तिल की तासीर गर्म है स्नान में तिल के तेल का प्रयोग किया जाता है तिल त्वचा के कीटाणाओं को समाप्त कर तैलीयता प्रदान करता है। 

बंगाल में इस दिन गंगा सागर का मेला आयोजित होता है सारे तीरथ कर बार बार गंगा सागर एक बार । एक बार गंगा सागर में स्नान करने से जाने अनजाने सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।गंगा सागर पहले साल में एक बार ही जाया जा सकता था क्योंकि मकर संक्रांति के दिन यहद्वीप समुद्र में उभरता था फिर सागर में जाता था।

केरल में सबरीमाला मंदिर में अयप्पा भगवान की पूजा की जाती हैं। इसे विलाक्कू महोत्सव कहते है। सुदूर पर्वतों पर एक दिव्य आभा मकर संक्राति ज्योति का दर्षन करने आती है। इसे ओणम भी कहते है। 

तमिलनाडू में मकर संक्राति दीपावली के समान धूमधाम से मनाई जाती है इसे चार दिन गन्ने की फसल कटने की खुषी के रूप में पोंग’ पर्व मना कर करते है। इसे पांेगल कहते हैं। 

दक्षिण भारत में मकर संक्राति पर एक विषाल मेले का आयोजन किया जाता है। मधु कैटभ          असुरों का विनाष करके मंदार पर्वत के नीचे स्थित सरोवर में विष्णु भगवान ने स्नान किया था। इस दिन इस सरोवर में स्नान करने से पाप नष्ट होते हैं कुरूक्षेत्र में भी स्नान किया जाता हैं। 

हरियाणा और पंजाब में इसे तिलचौली कहा जाता है। संध्या काल होते ही अग्नि की पूजा करते हैं और तिल गुड़ चावल आदि की आहुति दी जाती है। इसे माधी भी कहते है।

कष्मीर घाटी में षिष्ुार संक्रात कहते है। 

आन्ध्रप्रदेष में पेंड़ा पनडुगा कहते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में घुघुती कहते है। घुघुती प्रवासी पक्षियों को वापस बुलाने की प्रथा के रूप में मनाते है। प्रतीकात्मक रूप में काल कोऐ को इंगित करते है और आटे को गुड़ मिलाकर तरह तरह के आकार दे रोटी तलते है। 

मध्यप्रदेष में संनकुआ नामक स्थान पर इस उत्सव को मनाते है और सिंध नदी में स्नान का विषेष महत्व है। सिंधू नदी को अडसठ तीर्थो का भानजा रूप माना जाता है इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है। 

बिहार में यह पर्व पवित्र नदियों में स्नानकर दाल चावल तिल गुड़ धान का दान किया जाता है उड़द की दाल की खिचड़ी सब्जियॉं डाल कर बनाई और परिजनों को खिलाई जाती है। 

कर्नाटक में इसे येल्लू बेला कहा जाता है पवित्र नदी में स्नान कर सूर्य की आराधना करके परिजनों को एल्लू बेला कहकर तिल के पद्धार्थ बाँटे जाते है। इस दिन अपने मवेषियों को सजाते हैं (किच्चू,हैसोधू) एक प्रकार का अनुष् ठान करते है। 

गुजरात में यह पर्व दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन उत्तरायण और दूसरे दिन बासी उत्तरायण मनाते है। गोवा में मकर संक्राति का पर्व महाराष्ट्र की तरह ही मनाते है। 

गुरू गोरख नाथ की तपस्थली गोरखनाथ मंदिर में हर वर्ष मकर संक्रान्ति के अवसर पर खिचड़ी मेला आयोजित किया जाता हे ।


पंजाब में लोहड़ी के रूप मे मनाया जाता है। अग्नि की परिक्रमा करते हुए तिल, गुड़, चावल और भुने मक्कांे की आहुति दी जाती है। लोग आपस में गजक और रेवड़िया बाँटते है। नई बहू, नये बच्चे के लिए लोहड़ी धूमधाम से मनाते है ।

इस दिन खिचड़ी  दान का महत्व है। 

महाराष्ट्र- विवाहित महिलाएं एक दूसरे के घर जाकर हल्दी व रोली का टीका लगाती है, गोद में सुहाग का सामान व ताजा फल-बेर डाले जाते हैं तथा तिल, गुड़ देते हैं और कहते है ‘तिल गुड़ ध्या अणि गोड़ गोड़ बोल’ अर्थात् तिल गुड़ लो और मीठा मीठा बोलो ।

बंगाल- उत्तर प्रदेश की तरह गंगा सागर में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। तिल का दान किया जाता है। ‘सारे तीरथ  बार बार गंगा सागर एक बार ’

तमिलनाडू-  पोंगल के रूप में चार दिन मनाया जाता है। पहला दिन- भोगी पोंगल । इस दिन कूड़ा-कड़कट इकट्ठा करके जलाया जाता है। दूसरा दिन - सूर्य पोंगल, इस दिन लक्ष्मी की पूजा की जाती है। तीसरा दिन- गटटू पोंगल इस दिन पशुधन की पूजा की जाती है।                  चौथा- कन्या पोंगल, इस दिन स्नान के पश्चात् मिट्टी के बर्तन में खीर बनाने का रिवाज है। खीर का सूर्य को भोग लगाने के बाद प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है । इस दिन बेटी-जंवाई को निमंत्रित किया जाता है। 

असम - यह माघबिहू या मांगाली  बिहू के नाम से मनाया जाता है। बिहू एक कृषि प्रधान पर्व है। नई फसल लहलहाने का उत्साह 

राजस्थान में सुहागन सास को बायना देकर आर्शीवाद लेती है। चौदह सौभाग्य सूचक वस्तुओं का पूजन कर उनका  दान किया जाता है। 

मान्यता है। इस दिन सूर्य भगवान अपने पुत्र शनि से मिलने उसके घर जाते है। शनि देव मकर राशि के स्वामी है । अतः इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इसी दिन गंगा जी भगीरथ के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने देह त्यागने के लिये मकर संक्राति के दिन का चुनाव किया था ।

इस दिन का दान सौ गुना बढ़कर पुनः प्राप्त होता है। पतंग बाजी भी की जाती है। गुजरात में विशेष रूप से प्रकाश से नई ऊर्जा देने के लिये सूर्य देव को धन्यवाद देने का यही तरीका है। 

राम इक दिन पतंग उड़ाई

इंद्रलोक मंे पहुँचा जाई  

मीठे गुड़ में मिल गया तिल 

उड़ी पतंग और खिल गए दिल

जीवन में बनी है सुख और शान्ति 

मुबारक हो आपको मकर संक्राति





डा॰ शशि गोयल                 

 सप्तऋषि अपार्टमेंट     

 जी -9 ब्लॉक -3  सैक्टर 16 बी


Friday, 10 January 2025

bada kaun

 बड़ा कौन -




नभ में अपने बड़े बड़े पंख फैलाये उड़ते बादल ने पर्वत को तुच्छ नजरों से देख अट्ठहास करने लगा। ‘‘पर्वत तू अपने को बड़ा विषाल समझता है मैं देख तुमसे कितने नीचे उड़ रहा हूंॅ ! और तू कुछ नहीं , हिल भी नहीं सकता है। हां हां ! देख मैं सूरज ढक लेता हूंॅ ।’

‘अरे जा निर्लज्ज बहुत न इतरा,’ पर्वत ने दम्भ से कहा ,‘ मेरा मुकाबला कोई नहीं कर सकता तू तो क्या चीज है जरा देर में ही थकेगा और रो पड़ेगा,पष्थ्वी पर मानव तले रौंदा जायेगा । मेरे से जरा छू भी  जायेग तो कण कण में बिखर जायेगा’ उसकी बात सुन रहे झरने की खिल खिल हंसी निकल गई । दोनो ने आंखे तरेरी ‘तू इतने 

नीचे बहने वाला झरना हमारी हंसी उड़ाता है तेरी यह मजाल । तू किस खेत की मूली है।’

 झरना फिर खिलखिलाया,‘ मैं वह चीज हूं जिसने बादल बनाया और पर्वत की बड़ी बड़ी चट्टानों को यूं ही   बहा ले जाता हूं ‘‘ यह कह कूद फिर आगे बढ़ गया। 


Wednesday, 8 January 2025

kirch kirch baten

 मैं जो करना चाहता था नहीं कर पाया अर्थात् हार मान ली कि अब वे कभी नहीं जीतेंगे ।


हमारे नेता पर कोई उंगली नहीं उठा सकता वे भ्रष्ट नहीं हैं इसका मतलब है बाकी सब भ्रष्ट हैं मानते हैं ।

लव खामोष हैं जिनके उनकी आंखों में इबारत होती है।


युद्ध में ष्षहीद को एक मां बेटा खोती है बेटा एक परिवार और परिवार घरती खो देता है जिसके लिये युद्ध हो रहा होता है ।

पत्र जिंदगी में आधी मुलाकात होते हैं उनसे जिंदगी झांकती है पत्रों से इतिहास झांकता है तत्कालीन समाज का चित्र मिलता है और विगत स्मृतियां तैर आती हैं