Friday, 1 July 2016

jeebh

स्वाद का मजा तो दो इंच की जीभ पर मालुम  देता है
पर इसका परिणाम पूरे शरीर को भोगना पड़ता है




रोटी की महिमा
 जब तलाक रोटी का टुकड़ा हो न दस्तरख़ान पर
न नमाज़ों  मैं दिल लगे  और न कुरआन पर
 रात दिन रोटी चढ़ी रहती है सबके ध्यान पर
क्या खुद का नूर बरसे हूँ पड़ा हर नान पर
दो चपाती के बरक मैं सब दरफ रोशन हुए
रोटी न पेट मैं हो तो फिर कुछ जतन न हो  हो
 मेले की सैर ख्वाहिशें बैग ओ चमन न हो
भूखे गरीब दिल की खुद से लगन न हो
सच ही कहा है किसी ने भूखे मगन   हो
अल्लाह की भी याद दिलाती है रोटिया

नजीर अकबराबादी 

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