स्वाद का मजा तो दो इंच की जीभ पर मालुम देता है
पर इसका परिणाम पूरे शरीर को भोगना पड़ता है
रोटी की महिमा
जब तलाक रोटी का टुकड़ा हो न दस्तरख़ान पर
न नमाज़ों मैं दिल लगे और न कुरआन पर
रात दिन रोटी चढ़ी रहती है सबके ध्यान पर
क्या खुद का नूर बरसे हूँ पड़ा हर नान पर
दो चपाती के बरक मैं सब दरफ रोशन हुए
रोटी न पेट मैं हो तो फिर कुछ जतन न हो हो
मेले की सैर ख्वाहिशें बैग ओ चमन न हो
भूखे गरीब दिल की खुद से लगन न हो
सच ही कहा है किसी ने भूखे मगन हो
अल्लाह की भी याद दिलाती है रोटिया
नजीर अकबराबादी
पर इसका परिणाम पूरे शरीर को भोगना पड़ता है
रोटी की महिमा
जब तलाक रोटी का टुकड़ा हो न दस्तरख़ान पर
न नमाज़ों मैं दिल लगे और न कुरआन पर
रात दिन रोटी चढ़ी रहती है सबके ध्यान पर
क्या खुद का नूर बरसे हूँ पड़ा हर नान पर
दो चपाती के बरक मैं सब दरफ रोशन हुए
रोटी न पेट मैं हो तो फिर कुछ जतन न हो हो
मेले की सैर ख्वाहिशें बैग ओ चमन न हो
भूखे गरीब दिल की खुद से लगन न हो
सच ही कहा है किसी ने भूखे मगन हो
अल्लाह की भी याद दिलाती है रोटिया
नजीर अकबराबादी
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