हिन्दू हो या मुसलमान हो सिख हो या ईसाई
आपस के तास्सुब कि दीवार गिरा दो तुम
जो हिन्द मैं रहता है वो भाई है तुम सबका
जो तुम को लड़ता है बस उसको मिटा दो तुम
हैदर किरतपुरी
जो शख्स किसी से मोहब्बत नहीं करता
धोखा है इबादत का इबादत नहीं करता
मन की बुरा नहीं है महलों का बनाना
क्यों कहते मकानों की हिफाजत नहीं करता
ये तास्सुब की आग लगा राखी है किसने
कुओं उसकी तरफ चश्मे हिकारत नहीं करता
आचार्यश्री
आपस के तास्सुब कि दीवार गिरा दो तुम
जो हिन्द मैं रहता है वो भाई है तुम सबका
जो तुम को लड़ता है बस उसको मिटा दो तुम
हैदर किरतपुरी
जो शख्स किसी से मोहब्बत नहीं करता
धोखा है इबादत का इबादत नहीं करता
मन की बुरा नहीं है महलों का बनाना
क्यों कहते मकानों की हिफाजत नहीं करता
ये तास्सुब की आग लगा राखी है किसने
कुओं उसकी तरफ चश्मे हिकारत नहीं करता
आचार्यश्री
No comments:
Post a Comment