फसाद कोई न रमो रहीम का झगड़ा
मेरे समाज से बेहतर शराब खाना है
भड़क रही है तास्सुब की आग चारो तरफ
अब अपने घर को नहीं देश को बचाना
शबा बलरामपुरी
मेरा खून न कल न तेरा सफ़ेद
हम तो अल्लाह के बन्दे तुम हो राम के
मंजिल है सबकी एक लेकिन रह न्यारी न्यारी
प्यार सीखते है हमको कुरान ग्रन्थ और वेड
फिर कैसा मतभेद
हाशिम फिरोजाबादी
मेरे समाज से बेहतर शराब खाना है
भड़क रही है तास्सुब की आग चारो तरफ
अब अपने घर को नहीं देश को बचाना
शबा बलरामपुरी
मेरा खून न कल न तेरा सफ़ेद
हम तो अल्लाह के बन्दे तुम हो राम के
मंजिल है सबकी एक लेकिन रह न्यारी न्यारी
प्यार सीखते है हमको कुरान ग्रन्थ और वेड
फिर कैसा मतभेद
हाशिम फिरोजाबादी
No comments:
Post a Comment